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दयालुता / मौरिस करेम / अनिल जनविजय
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मेज़ सजाने के लिए
एक सेब पूरा नहीं पड़ता
बाग़ खिलने के लिए
सिर्फ़ सेब के पेड़ पूरे नहीं पड़ते
लेकिन मनुष्य पूरा पड़ता है
दूसरों से
ईमानदारी के साथ
अपना सेब बाँटने के लिए ।