भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमावस / अंशु हर्ष
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:29, 22 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंशु हर्ष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
खुले आसमान के नीचे बैठ
अभी ख्याल आया
तुम्हें कहुँ ....
मुझे आज का चांद चाहिए
तलाशा आसमान में
फिर याद आया
आज अमावस है ....
बस ऐसा ही होता है अक्सर ....
हर चाहत के साथ ...