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ख़्वाहिश / अंशु हर्ष

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मेरा नन्हा सा मन
पलक का टूटा बाल
मुट्ठी पे रख
फूंक से उड़ा
स्कूल की छुट्टी मांगता था
और अगले दिन रविवार आ जाता था
काश ज़िन्दगी की हर हसरत
एक पलक के टूटे बाल से पूरी हो जाती