भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करीला निहोरा मैया / सुभाष चंद "रसिया"
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 27 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
करीला निहोरा मैया, बिगड़ी बनाय द।
पीठ पर बैठके हंस, माई से मिलाय द॥
सूर लय ताल मईया हमरो सजाय द।
राग रगिनिया के, हमरी बनाय द।
तानसेन बैजू जइसे, सरगम बजाय द॥
पीठ पर बैठा के हंस माई से मिलाय द॥
सुर के सूर मइया रउरे बनवली।
तुलसी के शशि यश ज्योतियाँ दिखनली।
गीतिया में हमरी मइया तालिया बजाय द।
पीठ पर बैठाके हंस माई से मिलाय द॥
हम अनजान बानी कठिन डगरिया।
दर दर भटकीला बनके भिखरिया।
नेहिया से अपनी मैया जोतिया जराय द।
पीठ पर बैठाके हंस माई से मिले द॥
महिमा से रउरे मइया पंगु गिरि लांघे।
महफ़िल में आके रउरे दूत शमा बाँधे।
रसिया के आके मइया साधिया पुराय द॥
पीठ पर बैठाके हंस माई से मिलाय द॥