भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किशोर / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:46, 4 सितम्बर 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= हँस-हँस गाने गाएँ हम ! / महेन्द...)
.
शेर-से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !
.
वीर हो महान देश हिंद के विजय करो,
मातृभूमि की व्यथा-जलन समस्त तुम हरो,
देख मौत सामने नहीं डरो, नहीं डरो !
तुम स्वतंत्र-स्वर्ण नव-प्रभात के हरेक
शत्रु को पछाड़ते चलो !
शेर से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !
.
देख आँधियाँ डरावनी नहीं, कभी रुको,
साहसी किशोर शक्तिमान हो, नहीं झुको,
भूख-प्यास झेलते बढ़ो, नहीं कभी थको !
राह रोकता मिले अगर कहीं पहाड़ तो
उसे उखाड़ते चलो !
शेर-से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !