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एक अंधेरी बातचीत / वेणु गोपाल
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चांदनी से लबालब
आसमान
के
साथ
ज़मीन
के
साथ
हम
और हमारी नज़दीकी
और
फिर भी
प्यार की जगह
सिर्फ़ एक अंधेरी बातचीत-- हमारे बीच--
'कब ख़त्म होगा यह कराल-काल?'
'अगले साल-- किसी न किसी साल तो।'
(रचनाकाल : 30.12.1975)