भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोमड़ी का गीत / मुस्कान / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 4 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=मुस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कहा लोमड़ी ने कौए से-
भैया गीत सुनाओ।
प्यारी है आवाज तुम्हारी
कैसे हमे बताओ॥
कौआ हँस कर बोला-नानी
कबसे वहाँ खड़ी हो।
तुम ही हमें सुनाओ कुछ
पद में भी बहुत बड़ी हो।
कहा लोमड़ी ने बेटा-
बूढ़ी हूँ, सुन न सकोगे।
मैं तो दूँगी सीख मगर तुम
उसको गुन न सकोगे।
कौए ने हठ किया कहा
नानी थोड़ा तो गाओ।
हँसी लोमड़ी, बोली-
पहले पास हमारे आओ॥