भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चन्दा मामा / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 5 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मी खन्ना सुमन |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
किसे देखकर चंदामामा
रहते हो मुस्काते
किसकी खातिर रूप अनोखा
रोज़ बदलकर आते
मैं ऊपर से देखूँ सुंदर
बच्चे भोले-भाले
मीठे बोल सुनूँ मैं उनके
देखूँ खेल निराले
बच्चों को कुछ और रिझाने
बादल में छुप जाऊँ
छुपन-छुपाई खेलूँ उनसे
मन सबका हर्षाऊँ
पतला, मोटा, गोल बना मैं
धावल दूध बरसाता
देख मुझे मुस्काते बच्चे
तो मैं भी मुस्काता