भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेरणा / ओम व्यास

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:26, 10 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम व्यास |अनुवादक= |संग्रह=सुनो नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दीपक!
तुम मर्यादा में रहकर
बाती के साथ पूरी पूरी रात
तिमिर से लड़ते रहे
तेज हवाओं में अड़ते रहे,
संकल्प की मुट्टी ताने।
सच है!
'मशाल' होने से अच्छा है,
'दीपक' होना।
छोटा मगर मिट्टी से जुड़ा,
तुम्हारे लघु सार्थक जीवन को प्रणाम
नहीं है किसी और के हाथों तुम्हारी लगाम...