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बीर बहुटी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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वीर बहूटी वीर बहूटी
छुई मुई-सी वीर बघूटी
वर्षा ऋतु में बादल आते
बूंदों की जब झड़ी लगाते
झट आ जाती वीर बहूटी
लाल फूल-सी वीर बहूटी
राम की गुड़िया आई है
कहता मेरा भाई है
धरती से ऊपर आती है
लाल बटन-सी मन भाती है
पीठ लाल मखमल-सी होती
वर्षा कि सुन्दरता होती