भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
युद्ध / रणविजय सिंह सत्यकेतु
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:47, 12 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणविजय सिंह सत्यकेतु |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
युद्ध
सम्वादहीनता का वीभत्स रूप
और सोचने की क्षमता पर
पूर्णविराम है ।
युद्ध
सहने की कूव्वत का क्षरण
और दूसरों की हैसियत मिटाने की
अनाधिकार चेष्टा है ।
युद्ध
आँगन की ख़ुशियाँ छीनने
दरवाज़े को बेरौनक करने का
भयानक और क्रूर ज़रिया है ।