भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेटा तू मेरा मोती है / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:23, 12 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह देखो तारा निकला है
रजनी का प्यारा निकला है

झिलमिल झिलमिल चमक रहा
खिलखिल खिलखिल झलक रहा

श्याम गगन में ऐसा लगता
जैसे अंगारा निकला है

किसी सीप का यह मोती है
बेटा तू मेरा मोती है

तुलसी चौरा पर जो बाला
वही दीप ऊपर उछला है।

लल्ला अब तू सो जाना
प्यारे बेटे सो जाना

सभी ओर अंधियारा है पर
तू मेरा तारा उजला है।

वह देखो तारा निकला है
रजनी का प्यारा निकला है