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मैना ने आँखें खोली है / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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मैना ने पाँखे खोली हैं
नैना ने आँखे खोली हैं
रात नदी में डूब गई है
कल-कल कर लहरे बोली है
हवा चली खुशबू ले आईं
किरणों ने खिड़की खोली है
कहीं आम की डोली पर लो
कुहू-कुहू कोयल बोली है
इसकी मीठी बोली सुनकर
नैना भी 'कुहू कुहू' बोली है