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समय बदला / केदारनाथ अग्रवाल
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समय बदला
कटे पत्ते बड़े लम्बे हौंसलों के;
खड़ा केला
जड़ें गाड़े
अब अकेला;
तना भर है
जिए चाहे जिए जैसे
बना भर है
हरा हरदम गया
ग़म से नहीं दहला !
04 अप्रैल 1968