Last modified on 14 मई 2020, at 22:21

रिश्तें / मधुछन्दा चक्रवर्ती

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:21, 14 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुछन्दा चक्रवर्ती |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रिश्तों के कई रंग होते हैं,
कुछ नाम के, कुछ बेनाम।
पर सबको पड़ता है निभाना
क्योंकि यही दुनिया का दस्तूर है।
और कुछ रिश्तें ऐसे होते हैं,
जैसे चलती बस की खिड़की
से देखों तो छूटते नज़ारे जैसे।
इन रिश्तों को निभाने में
सबका दिल तो रखना पड़ता है
पर सच है कि
इनको निभाने में दिल कई बार
टूटते हैं
कितना बड़ा सच है ये
पर समझते नहीं, कितने अजीब होते हैं
रिश्तें।