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जनकवि केशरी प्रति मेरा दुई शब्द!! / बद्रीप्रसाद बढू
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जनकवि केशरी प्रति मेरा दुई शब्द!!
म तिम्रा हरिया डाँडा, माथि घुम्दै रमाउँदै
म हलो जोत्दछु साथी तिम्रै गीत सुनाउँदै
तिमीलाई म सम्झन्छु , तिम्रै गीत सुनी सुनी !!
बिसायौ देह हे साथी ! तिम्रा गीत अजम्मरी !