भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निराश न होना / सुधा गुप्ता

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:09, 10 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुधा गुप्ता }} <poem> मेरे पागल प्यार...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मेरे पागल प्यार ! निराश न होना
माना तेरा पंथ कठिन है
नहीं झलकती आश-किरण है
बढ़ता चल तू अपने पथ पर
देख, कहीं साहस मत खोना ।
पागल प्यार ! निराश न होना
भेंटे आकर मुझे निराशा
अश्रु सुनावे अपनी गाथा
हँसता-हँसता बढ़ चल पथ पर
देख , कहीं न बैठकर रोना !
पागल कभी निराश न होना !
पागल प्यार ! निराश न होना
शायद प्राण कभी आ जाएँ
तेरा करुण रुदन सुन पाएँ
जगता रह तू ओ निःसम्ब।ल !
देख , कहीं थककर मत सोना
मेरे प्यार ! निराश न होना