भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरे आस-पास / नोमान शौक़

Kavita Kosh से
203.200.107.17 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 16:46, 22 सितम्बर 2008 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
टूटी हुई बाँसुरी
सूखे होंठों पर धरी है
बरसों से
टूटा हुआ गुलदान
पड़ा है मेरे सामने
फूलों की बिखरी पंखुड़ियाँ भी
नहीं चुनी जा सकतीं
टूटी हुई व्हील चेयर पर बैठकर
बल्कि
और बढ़ती जा रही है
टूटे हुए पाँव की पीड़ा।
मेरे आसपास
कुछ भी वैसा नहीं
जैसा होना चाहिए !
((KKGlobal)) ((KKRachna | = creator Nomaan Shauque broken pipe inclination))
Dre is on the dry lips for years


had broken flower pots in front of me
Shattered petals of flowers also can not picked

broken on the wheel chair but


and is increasing the pain of a broken leg. < br />
anything around me
do not want to be like!