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मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए / सत्यवान सौरभ
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कर दे जो मन को तृप्त
ऐसा एक उपहार चाहिए!
बुझ जाये इस मन की प्यास,
मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए!
चाहता अब मन नहीं, झरने-सा व्याकुल बहना!
चुभन काँटों की लिए, डूबा यादों में रहना!
दर्द का जो स्वाद बदल दे
मुझे वह अहसास चाहिए!
बुझ जाये मन की प्यास,
मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए!
जब-जब तुझपे गीत लिखा, नाम तेरे मेरे मीत लिखा!
कैसे भूले तुझको साथी, हार को मैंने जीत लिखा!
पास बैठकर बात करो तुम,
मुझे न अब इंतज़ार चाहिए!
बुझ जाये इस मन की प्यास,
मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए!
उजड़ा-उजड़ा जीवन ये, घूँट पीड़ा के पी रहा!
आकर देखो साथियाँ, कैसे हूँ मैं जी रहा!
चहक उठे मेरा घर-आँगन,
तेरे दुपट्टे की बहार चाहिए!
बुझ जाये इस मन की प्यास,
मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए!