भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो जिनके पास क़िस्मत की हसीं सौगात होती है / शोभना 'श्याम'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 26 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शोभना 'श्याम' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो जिनके पास क़िस्मत की हसीं सौगात होती है
वो जब चाहे तभी तो दिन तभी तो रात होती है

कहाँ बसती हैं वह बस्ती जहाँ पर प्यार बसता है
यहाँ तो मुस्कुराने में छिपी इक घात होती है

सफर में ज़िन्दगी के हमसफ़र तो रोज़ मिलते है
सभी में दिल लुभाने की कहाँ वह बात होती है

ये क्या तूने अजब दुनिया बनाई है खुदा मेरे
जो शह देते हैं नेकी को उन्ही की मात होती है

बड़े विश्वास से दादी सुखा आई बढ़ी-पापड़
अगर जो श्याम हो बादल नहीं बरसात होती है