भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काँच का समुद्र / एज़रा पाउंड / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 28 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एज़रा पाउंड |अनुवादक=अनिल जनविजय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैंने देखा
देखा एक समुद्र
जिसके ऊपर खिले हुए थे इन्द्रधनुष
हर इन्द्रधनुष के बीच
मिले थे दो प्रेमी
और फिर बिछुड़ गए थे
और फिर आकाश भरा हुआ था चेहरों से
जिनके चारों ओर खिली हुई थी स्वर्ण आभाएँ
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब मूल अँग्रेज़ी में यही कविता पढ़िए
Ezra Pound
The Sea of Glass
I looked and
saw a sea
roofed over with rainbows,
In the midst of each
two lovers met
and departed;
Then the sky was full of faces
with gold glories behind them.