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फुरसत में इठलाती / कैलाश झा 'किंकर'
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फुरसत में इठलाती
याद तुम्हारी आती।
जानूं तो बस इतना
तुम दीया मैं बाती।
तेरी बात निराली
हौले से सहलाती।
घर में तेरी महिमा
हर दिन गायी जाती।
आ न सके तुम झूठे
बीत गयी सुकराती।