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देखकर बदलाव खुश हूँ / कैलाश झा 'किंकर'

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देखकर बदलाव खुश हूँ
क्या ग़ज़ब है चाव खुश हूँ।

बाढ़ के पहले ही आई
गाँव में इक नाव खुश हूँ।

झूठ पर अब अफसरों को
आ गया है ताव खुश हूँ।

घाव अपनों ने दिया जो
भर गया वह घाव खुश हूँ।

वक़्त की तब्दिलियों से
बढ़ गया है भाव खुश हूँ।