भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेवफा से प्यार कैसा / कैलाश झा 'किंकर'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:36, 19 जुलाई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश झा 'किंकर' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बेवफा से प्यार कैसा
आपसे इकरार कैसा।

आप तो पैसों पर मरते
दिल बिना दिलदार कैसा।

प्रेम बिन घर बस न पाता
आपसी तकरार कैसा।

कर दिया कर्तव्य अपना
आप पर उपकार कैसा।

जो अहंकारी बहुत है
उसका है परिवार कैसा।

आप तो हैं मीत मेरे
आपसे इन्कार कैसा।