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सत्य से अनजान हैं हम / कैलाश झा 'किंकर'

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सत्य से अनजान हैं हम
भारती की जान हैं हम।

माँ हमारी है सुखी तो
माँ की ही मुस्कान हैं हम।

सब हमारे हम सभी के
इसलिए वरदान हैं हम।

चाहते हैं सबकी खुशियाँ
देश हिन्दुस्तान हैं हम।

दुश्मनों को माफ़ करते,
पर नहीं नादान हैं हम।

चार-सू इन्सानियत से
जी रहे इन्सान हैं हम।