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शेर कहेगा म्याऊँ / कमलेश द्विवेदी

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एक बार मैं बोला-बेटे, माँ से मत घबराना।
अगर तुझे वह डाँटे-मारे तो मुझको बतलाना।

यदि वह तुझे कहेगी कुछ तो उसको हड़का दूँगा।
बेटे, मैं हूँ शेर उसे मैं ढँग से समझा दूँगा।

बेटा बोला-पापा, कैसे बोले शेर बताऊँ।
मैंने कहा-बताओ बेटा, तो वह बोला-म्याऊँ।

मैंने बोला-बेटे, तूने बिलकुल ग़लत बताया।
शेर और बिल्ली में अंतर क्यों तू समझ न पाया।

बेटा बोल-पापा, तुमको ज़्यादा क्या समझाऊँ।
जब आगे हो खड़ी शेरनी शेर कहेगा-म्याऊँ।

प्यारे पापा, अब बोलो क्या मम्मी को डाँटोगे।
अगर सामने हों वह तो क्या ख़ुद को शेर कहोगे।