भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दस मौतें / विजयशंकर चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:39, 19 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजयशंकर चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पहला तीखा बहुत खाता था इसलिए मर गया
दूसरा मर गया भात खाते-खाते
तीसरा मरा कि दारू की थी उसे लत
चौथा नौकरी की तलाश में मारा गया
पाँचवें को मारा प्रेमिका की बेवफ़ाई ने
छठवाँ मरा इसलिए कि वह बनाना और सजाना चाहता था घर
सातवाँ सवाल करने के फेर में मारा गया
आठवाँ प्यासा मरा भरे समुद्र में
नौंवाँ नंगा था इसलिए शर्म से मरा ख़ुद-ब-ख़ुद
दसवाँ मरा इसलिए कि कोई वजह नहीं थी उसके जीने की ।