भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बस : कुछ कविताएँ-3 / रघुवंश मणि
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:59, 24 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रघुवंश मणि }} पीछे की सवारियाँ ध्यान से सुनें प...)
पीछे की सवारियाँ
ध्यान से सुनें
पीछे की सवारियाँ टिकट ख़रीद लें
पैसे आगे बढ़ा दें
पीछे की सवारियाँ
अपना सामान पीछे ले जाएँ
पीछे की सवारियाँ
झटकों के लिए तैयार रहें
हिचकोले खाती है बस
बाद की सवारियाँ भी
पीछे जाकर बैठें
पीछे की सवारियाँ
पीछे की सवारियों की तरह रहें