भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस आलमे-शष जिहात में मेरा वजूद / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:45, 7 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इस आलमे-शष जिहात में मेरा वजूद
हस्ती की वारिदात में मेरा वजूद
ज़र्रा हूँ जमां मकां की रखता हूँ खबर
वरना इस कायनात में मेरा वजूद।