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है चार तरफ धूम शरारो-शर की / रमेश तन्हा

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है चार तरफ धूम शरारो-शर की
वहशत का है माहौल, हुक़ूमत डर की
है कत्ल पे इंसान के इंसान माइल
ऐसे में भला किसे हो सुध बुध घर की।।