भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
है चार तरफ धूम शरारो-शर की / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 7 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
है चार तरफ धूम शरारो-शर की
वहशत का है माहौल, हुक़ूमत डर की
है कत्ल पे इंसान के इंसान माइल
ऐसे में भला किसे हो सुध बुध घर की।।