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यह अपना वतन पाक है मिट्टी जिसकी / रमेश तन्हा

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यह अपना वतन पाक है मिट्टी जिसकी
जां से भी है प्यारी हमें हर शय इसकी
लेकिन इंसानियत से बढ़ कर भी है कुछ
मुल्कों में बहम फिर फौकीयत किसकी।