भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर जानती गाना तितली / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:42, 14 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश विमल |अनुवादक= |संग्रह=कहाँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अगर जानती गाना तितली।
लिए तानपुरा फिरता
तब पवन बाग़ में
पत्तों का तबला भी
बजता संग राग में।
कान फूल सब लगवा लेते
अगर जानती गाना तितली।
मोर नाचता पैरों में
घुंघरू बंधवा कर
डेरा वहीं डालता
काला भौंरा जा कर।
अजब हाल कोयल का होता
अगर जानती गाना तितली।