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वसंत बंदना / अपूर्व भूयाँ
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फिर से टपक रही है बारिश
जला हुआ मिट्टी और राख हुआ खेत-खलिहान में
हरे घास का लहकना तेज हो रहा है
युवा भैंसा की तरह ओजस्वी हो रहे हैं पेड़-पोधे
गाँवों में उबला हुआ नवान्न की सुगंध फैल रही है
पता नहीं कौन जलाया था वो आग अकाल निदाघ का
अभी प्रेमी मछलियों का खलबली ह्रदय में ।