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सच झूठ / ब्रज श्रीवास्तव

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वे जो बोल लेते हैं
उनके पास इस समय झूठ है
बोले जाने के लिए।

पृथ्वी नहीं बोलती
आसमां नहीं बोलता
नदी भी नहीं बोलती
पर्वत तो कभी नहीं बोलता
और यही सब कुदरत के
बड़े बड़े लोग हैं
जो नहीं बोलते

पशु पक्षी और मनुष्य
बोलते हैं तो
वे बोल रहे हैं
उनके पास विकल्प है
झूठ बोलने का
तो वे इसी को चुन रहे हैं।