कब से साथ निभाता आया
मैं हूँ मित्र तुम्हारा,
सदियाँ बीतीं, युग बदले
पर मैं कभी न हारा।
ले मीठे फल, ठंडी छाया
खड़ा हुआ हूँ साथ,
आओ तुमको गले लगा लूँ
जरा बढ़ाओ हाथ।
कब से साथ निभाता आया
मैं हूँ मित्र तुम्हारा,
सदियाँ बीतीं, युग बदले
पर मैं कभी न हारा।
ले मीठे फल, ठंडी छाया
खड़ा हुआ हूँ साथ,
आओ तुमको गले लगा लूँ
जरा बढ़ाओ हाथ।