भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपना झरना नींद का / निदा फ़ाज़ली
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 11 अक्टूबर 2020 का अवतरण
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, साँसों का इतिहास
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गई धूप
बरखा सबको दान दे, जिसकी जितनी प्यास
मोती-सी ये सीप में, माटी में ये घास