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शरद के दो रंग / सुरेश सलिल
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तोरयी के फूल
हरे हरे पत्तों के बीच सिर उँचाए
सोनबरन तोरयी के फूल
क़ुदरत ने सिरजे हैं शारदीय छौने ये
कैसी तो उठान लिए ऋतु के दिठौने ये
हरित बर्न बालाएँ कुलक रहीं
देखो तो !
देखो ये हमारे करनफूल !
शरद गान
फूले काँस
उजास सकल बन
हंसा उड़ा अकास
मगन मन
रजत बरन राजैं सर सरिता
बीते दिन चौमास मगन मन
ऊपर तारों का चन्दोबा
भू पर सांस विलास मगन मन
"खंजन नयन तिरीछे सयनि"
प्रकृति नटी कौ लास सकल बन
कातिक मास सरद झमकावै
चन्द कि जोति अकास मगन मन