भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भ्रूण-हत्या / कमलेश कमल
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:01, 22 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश कमल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्यार का चरमोत्कर्ष
दैहिक एकीकरण
अर्धनारीश्वर पूजन
प्रसाद के दो बूँद
बीज तैयार करते हैं
कई कुमुदिनी
जो सरोवर की शोभा बनतीं
नहीं देख पातीं
इस दुनिया कि धूप
रौंद दी जाती हैं
निर्ममता से
खिलने के पहले ही
जातक कमल की चाह में
प्रश्न तो उठता है
कि ऐसे नर-पिशाच
जो नहीं समझते
जीवन का चक्र
आख़िर क्यूँ होते हैं
अभिसरित?