बदलाव / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय
वो सारी सुबह राजसी ठाठ में थे — रैम्बो
वे सभी, जो किराए पर पोशाकें लेकर पहनते हैं अपनी शादी में
और दुनिया को पूरी तरह से भूल जाते हैं
वे आम तौर पर ये भी भूल जाते हैं कि दो-तीन दिन बाद
राजसी कपड़ों ये सारा ढेर
और उसके साथ-साथ इस शाम को की जा रही सारी गपशप
और दुल्हन का वह अनिवार्य रुदन
वापिस लौटाना होगा
कम से कम सलवटों के साथ ।
(दफ़्तर की दीवार पर यह चेतावनी लिखी हुई थी
बड़े-बड़े अक्षरों में)
लेकिन इस सबके बदले में उन्हें यह भी याद रहेगा कि
कुछ भी हो — पर पाँच-छह घण्टे ऐसे थे
जब वे ख़ुद को पूरी तरह से सुखी मान रहे थे
पुराने ज़माने की शानदार पोशाकों में सजकर
और सफ़ेद पड़ गए थे सफ़ेद दस्तानों की सफ़ेदी की तरह
वह —
धीरे-धीरे चल रही थी सहेलियों की सख़्त देखरेख में
और वह —
बेहद ख़ुश था।
हालाँकि फिर भी अधखुली रह गई थी पीठ
और कन्धों पर थोड़े से बल पड़े हुए थे ।
यही बदलाव है ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय