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आशाएँ / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

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यहाँ आशाएँ हैं
पृथ्वी से उष्मा
बीज से कोंपल
कोंपल से फुनगी तक
अनविरोध सिलसिले की
नथुनों से सोंधी महक
पेट भर रोटी की

रिसते घावों पर फाहों की
मौत से बेहतर जीवन की
आशाएँ हैं यहाँ

यहाँ आदमी पर
आदमी के भरोसे की आशाएँ हैं

आशाओं की उँगली थामे
क़दम-दर-क़दम
संतुलित हो रहा है बच्चा
वहाँ आशाएँ हैं
आशाओं के ग़बन की
आशाओं के हनन की

मोर्चे पर मोर्चा
थाम रही हैं आशाएँ.