Last modified on 6 नवम्बर 2020, at 23:53

वह अँधेरी रात / रामगोपाल 'रुद्र'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 6 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामगोपाल 'रुद्र' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आली! वह अँधेरी रात!

कामना-सी तारिकाएँ
भग्न किस उर की कथाएँ
मौन इंगित से बताना
चाहतीं क्या बात?

याद-से कुछ मेह छाए,
दाग-सा दिल में छिपाए,
पूछता किसका पता, यह
बावला-सा वात?

मुग्ध सुख की कल्पना से,
स्वप्न से, छाए कुहासे;
किस निठुर का नाम रटते
तोड़ते दम, पात?