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मूर्च्छना / रामगोपाल 'रुद्र'
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मूर्च्छना
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रचनाकार | रामगोपाल 'रुद्र' |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- बहुत मैंने पुकारा, ओ पिया! / रामगोपाल 'रुद्र'
- एक वस्तु है, एक बिंब है / रामगोपाल 'रुद्र'
- मन में समुद्र समा रहा / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुमको भी, मेरी याद / रामगोपाल 'रुद्र'
- मधु है मधुबन है / रामगोपाल 'रुद्र'
- आँखें हैं हैरान / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुमसे मेरा गोपन क्या है / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज तेरी याद का दिन! / रामगोपाल 'रुद्र'
- बीत गए जो मास मधु के / रामगोपाल 'रुद्र'
- साधना सिद्धि है प्रेम की / रामगोपाल 'रुद्र'
- एक क्षण भी तुम / रामगोपाल 'रुद्र'
- वे कुछ दिन बचपन के मेरे / रामगोपाल 'रुद्र'
- बादलों की ओट से / रामगोपाल 'रुद्र'
- बरसे हैं मेह कहीं न कहीं / रामगोपाल 'रुद्र'
- घर-घर आँगन-आँगन जागा / रामगोपाल 'रुद्र'
- पकने दे तप के बोल / रामगोपाल 'रुद्र'
- दिशि-दिशि निशि घिर आई / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज अमा घर आई / रामगोपाल 'रुद्र'
- जब-जब बुखार आता है / रामगोपाल 'रुद्र'
- पीते ही आए नैन / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुम्हीं मुँह मोड़ रहे / रामगोपाल 'रुद्र'
- बीत गया मेला दिन-भर का / रामगोपाल 'रुद्र'
- क्या न हुआ, जो अनहोना था / रामगोपाल 'रुद्र'
- दिल को दिलगीर नहीं मिलता / रामगोपाल 'रुद्र'
- क्या बोलूँ क्या बात है / रामगोपाल 'रुद्र'
- अमरण लय-स्वर क्यों / रामगोपाल 'रुद्र'
- यह भी शिल्प तुम्हारा ही है / रामगोपाल 'रुद्र'
- खुश होऊँ क्या, नाखुश भी क्या / रामगोपाल 'रुद्र'
- हँसता तो हूँ, रोता कब हूँ? / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुझको ज़रूरत क्या, किसी की याद की? / रामगोपाल 'रुद्र'
- लाज की यह बात / रामगोपाल 'रुद्र'
- मत भीख माँग, मत भीख माँग / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुझमें प्रतिभा भरकर विधि ने / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुझे प्रेरणा दे तो कौन? / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे गीत अगर सूखे हों / रामगोपाल 'रुद्र'
- रत्न बने लोचन / रामगोपाल 'रुद्र'
- चाँदनी ने कहा, मेदिनी ने कहा / रामगोपाल 'रुद्र'
- घुला ही किए भूमि के तृण-तुहिन / रामगोपाल 'रुद्र'
- अलि हे! हरसिंगार भी फूले / रामगोपाल 'रुद्र'
- सखि, रजनीगंधा के फूल / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज भी घन घिर आए हैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- कहाँ बरसाऊँ व्याकुल प्यार / रामगोपाल 'रुद्र'
- वह अँधेरी रात / रामगोपाल 'रुद्र'
- एक आकुल आस / रामगोपाल 'रुद्र'
- मन रे! इतना तो धीरज धर / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज विदा तुमको देनी है / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे सपने फिर आए हैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- बोलूँ और कहूँ क्या? / रामगोपाल 'रुद्र'
- चिंतन बन, चल चपल भावने! / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज भी मोह लगता है / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं इतना आकुल ही क्यों हूँ? / रामगोपाल 'रुद्र'
- वह दिन तुम्हें याद है प्राण? / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज मेरे दृग उनींदे / रामगोपाल 'रुद्र'
- साँझ हुई घर आए पंछी / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज बजती ही नहीं यह बीन / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज घन की रात / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज अपने आप से भी / रामगोपाल 'रुद्र'
- बीती आधी से भी अधिक रात / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज तुम यदि पास होते / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरी खाली प्याली में भी / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे सपने ही सुख हैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- मन इसीलिए तो डरता था / रामगोपाल 'रुद्र'
- बोलो तो प्यार किया था क्यों? / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज मेरे गान भी हैं मूक / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज भी न पुरी, मगर यह लालसा / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुम चाहोगी गान / रामगोपाल 'रुद्र'
- यह चाँद आज पीला क्यों है? / रामगोपाल 'रुद्र'
- ऐसा दुख क्यों दिया? / रामगोपाल 'रुद्र'
- बीती बात भुला लेने दो / रामगोपाल 'रुद्र'
- न हँसते हैं, न रोते हैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- अब क्या है, जो लिये चलूँ मैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- नाता टूट गया जग से जब / रामगोपाल 'रुद्र'
- आओ बैठा जाय / रामगोपाल 'रुद्र'
- उधर चाँदनी, इधर अमा है / रामगोपाल 'रुद्र'
- मधुकर का क्या दोष है? / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुँह फेरे ओ चंदा मेरे! / रामगोपाल 'रुद्र'
- कुछ और गवा लो गीत, मीत! / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे गीतों को भी / रामगोपाल 'रुद्र'
- जब से तुम तारों में आए / रामगोपाल 'रुद्र'