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मेरे गीत अगर सूखे हों / रामगोपाल 'रुद्र'

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मेरे गीत अगर सूखें हों, तो इनको तर कर दो ना!

मैंने तो जो आँखों झाँका
अपने मन के पाँखों आँका;
आँसू के इन क्षर चित्रों को छूकर अक्षर कर दो ना!

हार किये आई भू जिनको,
यदि लू ही होना है इनको,
तो, हे चाँद! ज़रा इन हिम के फूलों पर रज धर दो ना!

निशि के फूल, बिंधे किरणों से,
बाँधे नयन रहे हिरनों-से;
गिरते-गिरते भी, इनमें टुक श्रुतियों का सुख भर दो ना!