Last modified on 17 नवम्बर 2020, at 21:59

प्यारी तुमको कला / रामगोपाल 'रुद्र'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:59, 17 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामगोपाल 'रुद्र' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्यारी तुमको कला तुम्हारी है;
हमको अपनी ही रीत प्यारी है!
फोलों का भेद मुस्कियों दाबे
राह हमने भी क्या गुजारी है!