भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपनों का मायाजाल / सदानंद सुमन

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:32, 9 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सदानंद सुमन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपनों के साथ उठना
सपनों के साथ बैठना
सपनों के साथ चलना-फिरना
सपनों के साथ सोना-जागना
सपनों के साथ जीना और
किसी दिन अचानक चुपचाप
सपनों के साथ मर भी जाना!
जीने-मरने के बीच
सपनों का रहना जिन्दा
कभी समाप्त न होने वाली
उम्मीद की वह डोर है।
जिसकी ऊर्जा से अन्ततः
कट ही जाती
जाने कितनी जिन्दगियाँ!
सचमुच
जिन्दा रहने के लिए
यह सपनों का मायाजाल भी
कितना मोहक
कितना आकर्षक है?