भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खट्टे बेर / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 11 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता मंडा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्रतीक्षा की बेल पर
उगे हुए बेर हैं
उलाहनों के शब्द
तुम्हारी आहट पाकर
तोड़ लिये हैं
ये कच्चे बेर
कई दफ़ा
तुम्हारा पेट में
दर्द हो जाता है न
कच्चे बेर खाने से
इसलिए दरिया में बहा दिये
मछलियाँ चाव से खा रही हैं
इंतजार की घड़ियाँ!