भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पाँच पँक्तियाँ / नाज़िम हिक़मत / श्रीविलास सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:35, 4 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |अनुवादक=श्रीविला...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जीत लेने में झूठ को, आत्मा में, गलियों मे, किताबों में
माँओं की लोरियों में
और समाचारों में जिन्हें पढ़ता है वक्ता,
समझना, मेरे प्रिय, कितना महान आनन्द है इसमें,
समझने में कि क्या बीत चुका और क्या आने को है आगे ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह