भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धड़कै दिल मन बेचैन / मुकेश कुमार यादव

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 30 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश कुमार यादव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धड़कै दिल, मन बेचैन
सावन-भादो बरसै नैन।
जेठ-आषाढ़ा पानी-पानी।
बरसै सावन हथिया-कानी।
केकरा मिलै छै चैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
अगहन-पूस जाड़-ठहार।
कोहरा, कुहासा, रात पहाड़।
बोरसी आग सुख चैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
माघ-फागुन उड़ै गुलाल।
गोरो गाल लाल-लाल।
याद आवै दिन रैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
चैत-बैशाख बिना आस।
केकरा आवै गर्मी रास।
घर बाहर सगरे बेचैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन
आश्विन-कार्तिक सूना-सूना।
दिन दूना, रात चौगुना।
धड़कन सांस बेचैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।