भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो रोग, दो लोग / ममता व्यास

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:02, 4 अप्रैल 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ममता व्यास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

"मैं कुछ भी भूल नहीं पाता यार
मुझे याद रखने की बीमारी है"
(वह उदास था)

"मुझे तो कुछ भी याद ही नहीं रहता यार
मुझे भूल जाने का रोग है"
(वो भी उदास हो गयी)

अलग होने के बरसों बाद वो आज भी यह सोचकर खुश था कि
भूलने की बीमारी के चलते वो "सब कुछ" भूल कर फिर से एक बार
उसके पास चली आएगी।

अलग होने के बरसों बाद आज भी वो ये सोचकर खुश थी कि
"सब कुछ" याद रखने के रोग के चलते उसने
आज भी मुझे याद रखा होगा...