भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपने कद की लड़ाई लड़ी / जहीर कुरैशी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:42, 21 अप्रैल 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने कद की लड़ाई लड़ी
एक पर्वत से राई लड़ी

ताड़ बौना बनाया गया
इसलिए बौनसाई लड़ी

डिग्रियों से लड़ी योग्यता
अनुभवों से पढ़ाई लड़ी

स्वस्थ करने के आवेश में
रोग से खुद दवाई लड़ी

जब्त करने की सीमा तलक
आँसुओं से रुलाई लड़ी

चोट जब भी पड़ी स्वार्थ पर
एक ही माँ की जाई लड़ी

सबसे पहले तो दुश्मन से खुद
दुर्ग की एक खाई लड़ी